POETRY


 उदास एक मुझी को तो कर नही जाता

वह मुझसे रुठ के अपने भी घर नही जाता


वह दिन गये कि मुहबबत थी जान की बाज़ी

किसी से अब कोई बिछडे तो मर नही जाता


तुमहारा प्यार तो सांसों मे सांस लेता है

जो होता नश्शा तो इक दिन उतर नही जाता


पुराने रिश्तों की बेग़रिज़यां न समझेगा

वह अपने ओहदे से जब तक उतर नही जाता


 'वसीम' उसकी तडप है, तो उसके पास चलो

कभी कुआं किसी प्यासे के घर नही जाता

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